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स्टूल सॉफ्टनर कब्ज से राहत दिलाने में मदद करते हैं।

एक कॉटन बॉल पर थोड़ा सा विच हेज़ल लगाने से हेमोराइड और उसके कई लक्षणों में राहत मिलती है। विच हेज़ल का प्रयोग करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसे डाइल्यूट करने के लिए इसमें अल्कोहल न मिलाएं क्योंकि ऐसा करने से हेमोरोइड और परेशान हो सकता है या सूख भी सकता है।

इसमें भी असहनीय पीड़ा होती है, और रोगी दर्द से छटपटाने लगता है। मलत्याग करते समय, और उसके बाद भी रोगी को दर्द बना रहता है। वह स्वस्थ तरह से चल-फिर नहीं पाता, और बैठने में भी तकलीफ महसूस करता है। इलाज कराने से यह समस्या ठीक हो जाती है। 

बवासीर का सबसे अच्छा आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

एनोस्कोपी : गुदा और मलाशय की परत को देखने के लिए डॉक्टर एनोस्कोप (प्रकाशित ट्यूब) का उपयोग करते है।

पर्याप्त मात्रा में पानी पियें ताकि मल नरम रहे।

हल्दी और शहद का पेस्ट बनाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।

more info अगर आपको मल त्याग के दौरान खून आता है, तो किसी डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ, लक्षणों को नज़रअंदाज न करें, और समय रहते उपचार करें – यही सही देखभाल है।

शुरुआत में गुदा क्षेत्र में हल्की खुजली या जलन होती है, जो धीरे-धीरे दर्द और खून तक पहुंच सकती है।

बवासीर के लिए आयुर्वेद में पंचकर्म एक प्रभावी चिकित्सा पद्धति है।

कम्प्यूटराइज्ड एग्जामिनेशन: कम्प्यूटर की मदद से रेक्टल एग्जामिनेशन के दौरान डॉक्टर मलाशय (रेक्टम) में एक दस्तानेयुक्त, नमीयुक्त उंगली को एम्बेड करते हैं और असामान्य गांठ का पता लगाते हैं। यह प्रक्रिया आंतरिक बवासीर की जांच के लिए की जाती है। आंतरिक बवासीर को आमतौर पर महसूस नहीं किया जा सकता। इस स्थिति में अगर मरीज को अधिक दर्द और ब्लीडिंग होती है तो डॉक्टर रेक्टम जांच को रोक देते हैं।

मुझे और भी चिकित्सा समस्याएं हैं, मैं बवासीर के साथ इनका प्रबंधन कैसे कर सकता हूँ?

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